बौद्ध धर्म का इतिहास : उसकी स्थापना
बौद्ध धर्म का इतिहास क्या है?
बौद्ध धर्म का इतिहास बहुत लम्बा और समृद्धिशाली है। यह धर्म गौतम बुद्ध के जीवन और उनके शिक्षाओं से जुड़ा हुआ है। बौद्ध धर्म के उत्थान का कारण बुद्ध की अद्वितीय बोधिचित्त का प्रकट होना था, जिसे वे साक्षात्कार के माध्यम से प्राप्त किया था। यह धर्म भारत के मध्य भूमि से फैलकर दुनिया भर में फैल गया।बौद्ध धर्म की मुख्य शिक्षाएं चार सत्य (Four Noble Truths) और आठवें अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path) के आसपास घुमती हैं, जिनमें दुख के कारण, उसका कारण, उसका समापन और मार्ग का विवेचन किया गया है।बौद्ध धर्म के अनुयायी उनके गुरु, गौतम बुद्ध की पूजा करते हैं, और महाबोधि वृक्ष के नीचे उनके निर्वाण की स्थली के रूप में बोधगया को महत्वपूर्ण मानते हैं।इसके बाद के काल में, बौद्ध धर्म विभिन्न स्कूलों में विभाजित हुआ, जैसे कि थेरवाद और महायान। महायान बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध को बोधिसत्त्व के रूप में पूजते हैं और उनके बोधिसत्त्व के रूप में फिर से जन्म लेने की भी आशा करते हैं।बौद्ध धर्म ने भारतीय साहित्य, कला, और दर्शन को भी प्रभावित किया है और इसका असर आज भी दुनिया भर में महसूस किया जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण धर्म है जिसने मानव इतिहास को गहरे रूप से प्रभावित किया है उत्तर वैदिक काल के अंतिम चरण तक आते-आते धर्म के अंदर बहुत सारे कर्मकांड और आडम्बर फैल चुके थे, और इन्हीं कर्मकांड और आडम्बरों को ख़त्म करने और धार्मिक सुधार करने के लिए समाज में बहुत सारे संप्रदाय उभर कर सामने आए थे और यह समय धार्मिक सुधार आंदोलन का काल था। इस धार्मिक सुधार को करने के लिए समाज में मुख्य रूप से दो तरह के संप्रदाय उभर कर आए थे जैसे की आस्तिक संप्रदाय और नास्तिक संप्रदाय। आस्तिक संप्रदाय में लोग ईश्वर और भगवान जैसी मान्यताओं पर विश्वास करते थे और इसमें पारंपरिक सनातन धर्म से हटकर कुछ नए संप्रदाय आए थे, इसमें अलवर, नयनार और आजीवक जैसे संप्रदाय आते हैं।नास्तिक संप्रदाय में लोग ईश्वर और भगवान जैसी मान्यताओं पर विश्वास नहीं करते थे, परंतु वे मानवता पर विश्वास रखते थे, नास्तिक संप्रदाय में बौद्ध धर्म और जैन धर्म जैसे धर्म आते हैं और इसी नास्तिक संप्रदाय के मुख्य सम्प्रदायों में बौद्ध धर्म के बारे में हम आज जानेंगे। 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व की वह सारी परिवर्तन की परिस्थितियां जिनके बारे में हमने ऊपर चर्चा की यही बौद्ध धर्म के उदय का कारण बनी थी जिसके कारण समाज में एक नए बौद्ध धर्म का जन्म हुआ था।
गौतम बुद्ध कौन थे?
गौतम बुद्ध, जिनका जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व हुआ था, बौद्ध धर्म के महान संस्थापक थे। उनकी जीवनी उनके महत्वपूर्ण क्षणों और आदर्शों का संवाद करती है, जो बौद्ध धर्म के मूल आधार हैं।गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी, नेपाल में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था और माता का नाम माया देवी था। वे राजपरिवार से थे, लेकिन उन्होंने जीवन के दुखों की अनुभूति करके संवाद किया।गौतम बुद्ध का जीवन विचारमाग्न और आत्मविचार के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने अपने आदर्शों को पाने के लिए अपने आत्मा की खोज की और उन्होंने बोधि प्राप्त की, जिसका महत्वपूर्ण चरण बोधगया के एक पीपल वृक्ष के नीचे था।उन्होंने चार महत्वपूर्ण सत्यों (Four Noble Truths) की घोषणा की और आठवें अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path) के माध्यम से दुख से मुक्ति का मार्ग बताया। उन्होंने अपने उपदेशों का प्रसार किया और बौद्ध संघ की स्थापना की, जिसका केंद्र कुशिनगर में था।गौतम बुद्ध का जीवन और उनकी शिक्षाएं बौद्ध धर्म के आदर्शों का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्होंने धर्मिक तथा दार्शनिक सोच को गहरे रूप से प्रभावित किया। गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में अत्यंत आत्मविचार किया और अन्याय, दुख, और संवाद की अनुभूति की। उन्होंने बोधिचित्त की प्राप्ति करने के बाद दुख से मुक्ति के लिए एक मार्ग बताया, जिसे बौद्ध धर्म के आधार रूप में स्वीकार किया गया।गौतम बुद्ध का असली नाम "सिद्धार्थ गौतम" था। सिद्धार्थ गौतम नामक गौतम बुद्ध के प्राचीन जीवन के संदर्भ में उनका जन्मीय नाम था। उनका जन्म लुम्बिनी नामक स्थल पर हुआ था और वे कपिलवस्तु नामक स्थल में पालित हुए थे, जो वर्तमान दिन के नेपाल में स्थित है।सिद्धार्थ गौतम का जीवन संवाद, आत्मविचार, और आध्यात्मिक खोज के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने जीवन के दुखों की अनुभूति की और आत्मा के मोक्ष की खोज करने के लिए अपने राजमहल और सारणाथ के विश्राम स्थल को छोड़ दिया। उन्होंने बोधि तत्त्व का प्राप्त किया और उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया ताकि वे अन्य लोगों को उनके उपदेशों का लाभ पहुँचा सकें।सिद्धार्थ गौतम के बोधि प्राप्ति के बाद, वे "बुद्ध" के रूप में जाने जाने लगे, जिसका अर्थ होता है "जागरूक" या "जागने वाला"। गौतम बुद्ध के उपदेशों ने बौद्ध धर्म की नींव रखी और उन्होंने धर्मिक तथा दार्शनिक सोच को गहरे रूप से प्रभावित किया।
बौद्ध धर्म कैसे बना?
बौद्ध धर्म का उत्थान गौतम बुद्ध के जीवन और उनके धार्मिक दर्शनों के प्रमुख प्रमाणों पर आधारित है। बौद्ध धर्म की उत्पत्ति का प्रमुख समय 6वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ, जब गौतम बुद्ध ने भारत के लुम्बिनी नामक स्थल पर जन्म लिया।बुद्ध का जीवन उनके दुखों की अनुभूति से प्रेरित होकर उनकी बोधि (बोधिचित्त) की प्राप्ति तक का है, जो उन्होंने बोधगया के तलाब के किनारे बैठकर प्राप्त किया। उन्होंने चार महत्वपूर्ण सत्यों की घोषणा की, जिनमें दुख के कारण, उसका कारण, उसका समापन और मार्ग का विवेचन किया था। इन उपदेशों ने उनके अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य किया और उन्हें दुख से मुक्ति की ओर प्रेरित किया।बुद्ध की मृत्यु के बाद, उनके अनुयायी उनकी शिक्षाओं का प्रचार और प्रसार करने में जुटे। इसके परिणामस्वरूप, बौद्ध धर्म कई विभिन्न स्कूलों और धार्मिक सम्प्रदायों में विभाजित हो गया, जैसे कि थेरवाद, महायान, और वाज्रायान।बौद्ध धर्म की उत्पत्ति और विकास ने भारतीय समाज को गहरे धार्मिक और दार्शनिक विचारों के साथ अच्छूत किया और इसका प्रभाव आज भी दुनिया भर में दिखाई देता है। बौद्ध धर्म एक महत्वपूर्ण भारतीय धर्म है जिसने मानव इतिहास को गहरे रूप से प्रभावित किया है और विश्व धर्म के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्थान बनाया है।
बौद्ध धर्म के भगवान कौन है?
बौद्ध धर्म में, भगवान की प्रतिष्ठा गौतम बुद्ध को दी जाती है, जिन्हें बौद्ध अनुयायी सिद्धार्थ गौतम के रूप में भी जानते हैं। गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं और उनकी शिक्षाएं इस धर्म का मूल आधार हैं।बुद्ध के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं उनकी भगवान के रूप में पूजा जाती हैं, जैसे कि उनका जन्म लुम्बिनी में हुआ था, उनकी बोधि बोधगया में हुई थी, और उनका महापरिनिर्वाण कुशिनगर में हुआ था।बौद्ध धर्म के अनुसार, गौतम बुद्ध ने दुख के कारण और उसके समापन का मार्ग बताया और उन्होंने बोधिचित्त की प्राप्ति कर ली, जिससे वे सम्पूर्ण जीवन के दुख से मुक्त हो गए।बौद्ध धर्म में भगवान के बजाय बुद्ध को गुरु और उपदेशक के रूप में माना जाता है, और उनके उपदेशों का पालन करने की प्रेरणा ली जाती है। उनकी शिक्षाएं चार सत्य (Four Noble Truths) और आठवें अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path) के चारणों में घुसी होती हैं, जो जीवन के मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं।इस तरीके से, बौद्ध धर्म में भगवान का निरूपाधिक स्वरूप और उनके द्वारा प्राप्त की गई बोधि का महत्वपूर्ण स्थान है, और उनकी शिक्षाएं उनके अनुयायियों के जीवन को मार्गदर्शन करती हैं।
बौद्ध धर्म के 3 मुख्य देवता कौन हैं?
बौद्ध धर्म में तीन प्रमुख देवताएं, जिन्हें त्रिरत्न (Three Jewels) के रूप में जाना जाता है, हैं। ये तीन प्रमुख देवताएं बौद्ध संग्ह के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनके आदर्शों के पालन के साथ जुड़ी होती हैं।
बुद्ध (Buddha): पहला त्रिरत्न बुद्ध है, जो बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं। उन्हें बौद्ध संग्ह के सदस्य अपने गुरु और आदर्श मानते हैं। गौतम बुद्ध की प्रतिमा और चित्रण बौद्ध मंदिरों और स्तूपों में देखी जाती है।
धर्म (Dharma): दूसरा त्रिरत्न धर्म है, जो गौतम बुद्ध की शिक्षाओं को और बौद्ध संग्ह के सदस्यों के दुगुण अपनाने के रूप में समझा जाता है। धर्म बौद्ध धर्म के मार्गदर्शक और आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा प्रदान करता है।
संघ (Sangha): तीसरा त्रिरत्न संघ है, जो बौद्ध संग्ह यानी समुदाय के सदस्यों का समूह है। यह समुदाय बौद्ध संग्ह के सदस्यों के साथ संगठित होता है और उनके धार्मिक सङ्गठन और समर्थन का स्रोत होता है।
इन तीनों त्रिरत्नों के माध्यम से बौद्ध संग्ह के सदस्य अपने धर्मिक जीवन को मार्गदर्शन करते हैं और गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करते हैं।
बौद्ध धर्म के चार पवित्र स्थान कौन से हैं?
बौद्ध धर्म में चार पवित्र स्थल (Four Sacred Sites) होते हैं, जिन्हें बौद्ध यात्री और श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ये स्थल गौतम बुद्ध के महत्वपूर्ण जीवन के प्रमुख क्षणों से जुड़े हैं और बौद्ध यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
लुम्बिनी (Lumbini): यह जगह गौतम बुद्ध के जन्मस्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। लुम्बिनी नेपाल में स्थित है और एक पवित्र धर्मिक स्थल के रूप में माना जाता है।
बोधगया (Bodh Gaya): यह स्थल वहाँ है जहाँ गौतम बुद्ध ने अपनी बोधि प्राप्त की थी। यह स्थल बिहार, भारत, में स्थित है और महत्वपूर्ण बौद्ध पिलग्रीमेज स्थल है।
सारनाथ (Sarnath): सारनाथ भी बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। गौतम बुद्ध ने यहाँ पहले बार अपने उपदेशों का प्रसार किया था।
कुशिनगर (Kushinagar): यह स्थल गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशिनगर, उत्तर प्रदेश, भारत, में हुई थी।
इन चार पवित्र स्थलों पर बौद्ध श्रद्धालु यात्रा करते हैं और इन्हें अपने धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल मानते हैं। ये स्थल बौद्ध धर्म के इतिहास और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
क्या बौद्ध धर्म हिंदू धर्म से आया था?
नहीं, बौद्ध धर्म हिंदू धर्म से सीधे आया नहीं था, लेकिन इन दोनों धर्मों के बीच में कुछ सांख्यिक समानताएं और प्राचीन भारतीय धार्मिक परंपराओं के आसपास की सांस्कृतिक परिपर्णता थी।बौद्ध धर्म का उत्थान गौतम बुद्ध के जीवन और उनके धार्मिक दर्शनों से जुड़ा है, जबकि हिंदू धर्म का मूल वेदों और उनके उपनिषदों से आया है। बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में धार्मिक विचारधारा, शिक्षाएं, और ध्यान के कुछ सामान्य तत्व हैं, जैसे कि संसार के दुखों को समापन पाने के लिए मानव जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलु का महत्व और चार सत्य जैसे मूल धार्मिक गुरुग्रंथ।हालांकि बौद्ध धर्म ने कुछ हिंदू धर्म के परंपरागत धार्मिक अवधारणाओं को समर्थन नहीं किया और खुद को एक अलग धर्म माना, इसका मतलब यह नहीं है कि बौद्ध धर्म हिंदू धर्म की एक शाखा है। ये दो अलग-अलग धर्म हैं, जिनमें अपनी अलग-अलग धार्मिक विचारधाराएं, तत्त्व, और प्रथाएं हैं
बौद्ध धर्म के 10 शील क्या है
बौद्ध धर्म में "शील" (Sila) शब्द का महत्वपूर्ण स्थान है, जो आदर्श और नैतिकता की प्रतिष्ठा करता है। ये शील बौद्ध समुदाय के सदस्यों के लिए आदर्श रखते हैं और उनके जीवन में उच्च मूल्यों की प्रकटि करते हैं। बौद्ध धर्म में 10 महत्वपूर्ण शील होते हैं, जिन्हें "दशशील" (Ten Precepts) कहा जाता है:
नैंतिकता शील (Sila of Morality): बौद्ध समुदाय के सदस्यों को नैतिक आदर्शों का पालन करने की सलाह दी जाती है, जैसे कि हिंसा, चोरी, और अनैतिकता से बचना।
नीति शील (Sila of Restraint): यह शील विषयों की प्रतिष्ठा करता है, जैसे कि अशराब और अपशकुन भाषण के अदरकरने से बचना।
स्वतंत्रता शील (Sila of Freedom): इस शील में स्वतंत्रता की प्रतिष्ठा की जाती है, और यह त्याग और अपने इच्छाशक्ति का प्रयोग करने की सलाह देता है।
जीवन शील (Sila of Life): इसमें हिंसक जीवों के प्रति दया और करुणा की प्रतिष्ठा है, और यह जीवन की मौद्रिक अक्षमता का त्याग करता है।
अदुल्लभ शील (Sila of Honesty): इस शील में झूठ बोलने की प्रतिष्ठा की जाती है और यह सत्य के प्रति वफादारी को बढ़ावा देता है।
उपयोगशील शील (Sila of Useful Work): यह शील कार्यों और उपयोगी कार्यों की महत्वपूर्णता को मानता है और यह समजाता है कि काम करना धर्म का हिस्सा है।
आस्तिक्य शील (Sila of Uprightness): इसमें न्यायप्रेम की प्रतिष्ठा है और यह सही रास्ते पर चलने की सलाह देता है।
अपेक्षा शील (Sila of Expectation): यह शील आशाओं और आकांक्षाओं की प्रतिष्ठा करता है, और यह अपेक्षाओं से मुक्ति का मार्ग प्रशंसा करता है।
धर्मचरण शील (Sila of Practice): इसमें ध्यान और मेधावी अभ्यास की महत्वपूर्णता को प्रतिष्ठा किया जाता है, और यह धर्मिक अभ्यास को बढ़ावा देता है।
बोधिचित्त शील (Sila of Mindfulness): इस शील में समय के साथ ध्यान और जागरूकता की प्रतिष्ठा की जाती है, और यह अपने विचारों, भावनाओं, और क्रियाओं की जागरूकता को प्रोत्साहित करता है।
इन 10 शीलों का पालन बौद्ध साधकों के लिए धर्मिक और नैतिक मार्ग का हिस्सा है और इनका पालन उनके धर्मिक उन्नति के मार्ग का हिस्सा होता है
निष्कर्ष : Conclusion
"इस लेख के माध्यम से हमने बौद्ध धर्म के इतिहास को एक नजर में देखा है, जिसका आदान-प्रदान गौतम बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों से हुआ है। बौद्ध धर्म ने अपने आदर्शों और मूल धार्मिक तत्त्वों के साथ एक विशेष स्थान बनाया है और दुनियाभर में उनके उपदेशों का पालन किया जाता है। यह धर्म संयम, आत्मा के मोक्ष की खोज, और दया के मूल्यों का पालन करने का मार्ग प्रशंसा करता है। बौद्ध धर्म के इतिहास के इस रूपरेखा से हम समझ सकते हैं कि इसका महत्व धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से कितना उच्च है। यह एक धार्मिक साहित्य और सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और आज भी दुनियाभर में उसके अनुयायी धर्मिक अदर्शों का पालन करते हैं।
FAQ :-
Qus1 बौद्ध धर्म से पहले कौन सा धर्म था?
Ans बौध्द धर्म से पहले कौन सा धर्म था? बौध्द धर्म से पहले समन (श्रमण) धर्म था! बौद्ध और जैन धर्म का जन्म समन धर्म से ही हुआ था!
Qus2 बौद्ध धर्म की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
Ans बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। इसके संस्थापक भगवान बुद्ध, शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे। बुद्ध राजा शुद्धोदन के पुत्र थे और इनका जन्म लुंबिनी नामक ग्राम (नेपाल) में हुआ था। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे।
Qus3 पृथ्वी पर सबसे पहला धर्म कौन सा है?
Ans हिन्दू धर्म (संस्कृत: हिन्दू धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत, नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसके अलावा सूरीनाम, फिजी इत्यादि। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है।
Qus4 बौद्ध धर्म के अनुसार ईश्वर कौन है?
Ans क्योंकि बौद्ध धम्म में तथागत गौतम बुद्ध ने ईश्वर को एक कोरी कल्पना कहा है। और धम्म में कोई कल्पना को बिना जांचे पहचाने ईश्वर है इस बात को स्वीकारा नहीं जा सकता। बुद्ध एक उच्च कक्षा की मानसिक अवस्था है और उसे प्राप्त कर लेता है वह बुद्ध कहलाता है। गौतम बुद्ध खुद कहते थे की मैं कोई ईश्वर नहीं हूं
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