द्वारका नगरी का इतिहास । Dwarka History
द्वारिका नगरी का इतिहास में कहानी | Dwarka Nagari
भारत के गुजरात में स्थित द्वारका एक प्रसिद्ध शहर है जिसमें भगवान कृष्ण द्वारा द्वारिका नगरी बसाई गई थी और यह चार धामों में से एक है और द्वारका नगरी सभी पवित्र स्थानों में से एक है आज से लगभग 5000 साल पहले कृष्ण भगवान ने यहां द्वारका नगरी बसाई थी और आज यहां पर एक द्वारकाधीश मंदिर स्थित है जिसके कारण कृष्ण भक्तों श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थ स्थल से कम नहीं है और यदि आज के द्वारका नगर की बात करें तो इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी और जब से ही यह चार धामों में शामिल हो गया था
पौराणिक कथा के अनुसार द्वारका नगरी भगवान कृष्ण के मथुरा छोड़ने के बाद बसाई गई थी जिसमें उन्होंने अपने अट्ठारह साथियों के साथ नगरी बसाई थी जो की बहुत बड़ी नगरी थी और इस नगरी के सिंहासन पर बैठ कर समस्त संसार में उन्होंने 36 वर्षों तक राज किया जिसमें अनेकों छोटे राजा भगवान कृष्ण से सलाह लेने आते थे और जब भगवान कृष्ण ने अपना देह त्यागा था तो उन्हीं के साथ ही द्वारका नगरी डूब गई थी और यादव कुल का विनाश हो गया था कुछ मान्यता यह भी बताती है कि द्वारका नगरी डूबने का कारण भगवान कृष्ण को मिले शाप को माना जाता है और यह नगरी गुजरात के कठियावाड़ क्षेत्र में अरब सागर के द्वीप पर स्थिति थी जो समुद्र में डूब गए थी और आज भी इसके तट पर कुछ दीवारें दरवाजे देखे जा सकते हैं जिससे यह साबित होता है कि यहां पर पौराणिक काल में एक नगरी हुआ करती थी जिसका नाम द्वारिका नगरी था
वैसे तो वैज्ञानिकों ने भी इसकी काफी खोज की जिसमें उन्हें काफी सबूत मिले कि यहां पहले एक नगर हुआ करता था और जब उस नगर की समुद्र तल से कुछ चीजें निकाली गई जिसमें पत्थर धातु सिक्के बर्तन चीजें निकाली गई तो पता चला था कि यह लगभग 3000 से 5000 साल पुरानी है और शायद लगभग द्वारिका नगरी को भी इतने ही वर्ष हुए हैं
इन दो श्राप के कारण डूबी द्वारिका नगरी | Dwarka History
पहला श्राप है कि जब पांडवों को महाभारत के युद्ध में जीत प्राप्त हो गई थी और इसमें सभी को पता है कि पांडवों को जीत दिलाने वाले भगवान कृष्ण थे और इसी से दुखी होकर कौरवों की माता गांधरी भगवान कृष्ण से क्रोधित थी तो इसी क्रोध में उन्होंने महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण को श्राप दिया कि जैसे तुमने कौरवों का नाश करवाया है पांडवों द्वारा 1 दिन तुम्हारा भी पूरा वंश खत्म हो जाएगा
दूसरा श्राप है जो कि सबसे प्रचलित मान्यताओं के अनुसार एक बार महर्षि विश्वामित्र,कण्व, और देवर्षि नारद एक बार द्वारिका नगरी में आते हैं और वहां के कुछ शरारती युवकों ने और भगवान कृष्ण के पुत्र श्याम ने उनका मजाक उड़ाया जिसमें भगवान कृष्ण का पुत्र स्त्री वेश में उनके पास आता है जिसमें वो कहते हैं कि यह स्त्री गर्भवती है तो इसके गर्भ से क्या जन्म लेगा और इतने में ही ऋषि क्रोधित हो गए जिससे उन्होंने क्रोध में श्याम को श्राप दे दिया की श्री कृष्ण का यही पुत्र यदुवंशी कुल का नाश का कारण बनेगा और इसके पेट से लोहे का मुसल पैदा होगा जिससे वह अपने कुल का खुद ही विनाश करेगा
कुछ मान्यता के अनुसार यही वे तो साफ है जिनके कारण द्वारिका नगरी समुद्र में डूब गई थी जिसके सबुत आज भी प्राप्त होते हैं वैसे तो वैज्ञानिक द्वारिका नगरी की खोज में लगे हुए हैं और उन्होंने पता यह भी कर लिया है कि यहां पर पहले एक नगरी हुआ करती थी और उसमें से उन्हें काफी कुछ मिला है जो की द्वारका नगरी होने का प्रमाण साबित करती है
द्वारिका नगरी का रहस्य | Mysteries of Dwarka city
1. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण की दिव्य नगरी जिसे द्वारिका नगरी कहा जाता है इसमें भगवान कृष्ण ने 36 वर्षों तक राज किया था
2. यह नगरी 36 वर्ष पश्चात जब भगवान कृष्ण ने अपना देह त्यागा था उसी के साथ यह नगरी समुद्र में समा गई थी
3. आज भी गुजरात के द्वारका शहर में भगवान कृष्ण के द्वारा बनाई गई द्वारिका नगरी के प्रमाण मिलते हैं
4. आज के समय में द्वारका शहर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर द्वारकाधीश मंदिर है जो कि चार धामों में शामिल है
5. द्वारका नगरी डूबने के दो कारण बताए जाते हैं जिसमें कौरवों की माता गांधारी का श्राप और दूसरा ऋषि विश्वामित्र का श्राप है
दोस्तों जैसा कि आपने जाना कि Dwarka History, the secrets of Dwarka city, द्वारका नगरी कब समुद्र में समाई , Dwarka Temple व अन्य जानकारी दी आपने इस लेख में प्राप्त की है हमको आशा है कि आप जो भी जानकारी प्राप्त करना चाहते थे वह जानकारी आपको अवश्य प्राप्त हो गई होगी और हमारे इस ब्लॉग पर बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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FAQ :-
Qus1 : द्वारका नगरी समुद्र में कैसे डूब गई?
Ans : द्वारिका नगरी को समुंदर में डूबने का कारण बताया जाता है जिसमें भगवान कृष्ण ने जब पांडवों को महाभारत के युद्ध में जीत दिलाई थी तो इससे दुखी होकर कौरवों की माता गांधारी ने भगवान कृष्ण को श्राप दिया था कि जैसे तुमने पूर्व वंश का विनाश करवाया है 1 दिन तुम्हारा भी वंश खत्म हो जाएगा और दूसरी और महर्षि विश्वामित्र ने कृष्ण के पुत्र श्याम को उनका उपवास उड़ाने के कारण श्राप दिया था कि यह यदुवंशी कुल के विनाश का कारण बनेगा
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