Puri Jagannath Temple History | जगन्नाथ मंदिर का इतिहास
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास | Puri Jagannath Temple History
भगवान जगन्नाथ का मंदिर चार धामों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और यह भारत में उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है और यह समुद्र के किनारे स्थित है यह भी एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है क्योंकि भगवान कृष्ण को समर्पित है इस मंदिर में तीन मूर्तियां हैं जिसमें पहली जगन्नाथ की दूसरी मूर्ति बलभद्र की और तीसरी मूर्ति सुभद्रा की है जिनकी लोग पूजा करके अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं वैसे तो इस मंदिर की काफी मान्यताएं और पुराणिक तथ्य हैं जिस शहर में जगन्नाथ मंदिर स्थित है यह नगरी हिंदुओं की सात सबसे पवित्र नगरी में से एक है जिससे पूरी के नाम से जानते हैं और जो समुद्र तट के किनारे बसी हुई है और इस नगरी को जगन्नाथ पुरी या पूरी के नाम से जाना जाता है और इस जगन्नाथ मंदिर के कारण उड़ीसा के पूरी शहर काफी प्रसिद्ध है पुराणों के अनुसार इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है क्योंकि यहां साक्षात भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण वास करते हैं और यह चार धामों में प्रसिद्ध धाम है श्री जगन्नाथ पहले नीलमाधव के नाम से पूजे जाते थे जो कि सबर कबीले के सरदार विश्वासु के आराध्य देव थे और जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से जानेंगे
जगन्नाथ मंदिर की कहानी | Story of Jagannath Temple
स्कंद पुराण के अनुसार जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी से होता है इसलिए ही भगवान विष्णु को जगत के पालनहार और जगत के स्वामी कहा जाता है और यह मंदिर उन्हीं के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और इसमें भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलभद्र उनकी बहन सुभद्रा और स्वयं भगवान श्री कृष्ण के रूप में जगन्नाथ की पूजा की जाती है और इसी पुराण में देखने को मिलता है कि यहां पर सबसे पहले भगवान नील माधव के रूप में अवतरित हुए थे जोकि सबर कबीले के सभी जनजातियों के आराध्य बन गए इस जनजाति के लोग अपने देवताओं की मूर्तियां अलग धातुओं से बनाते थे इन जनजातियों में कुछ ब्राह्मण भी थे जिसके बाद जगन्नाथ भगवान की ज्येठ पूर्णिमा से आषाढ़ पूर्णिमा तक पूरे रीति-रिवाजों के साथ सारी रितिया से उनकी पूजा की जाती थी शायद इसलिए ही इन्हें इनके आराध्य देव कहा जाता है और इन्हें नीलमाधव भी कहा जाता है
जगन्नाथ मंदिर के पौराणिक रहस्य | Top 7 Jagennath Temple Mystery
पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है जोकि अपने अनेकों रहस्यों के कारण चर्चा में रहता है और आज हम इन्हीं के रहस्यों के बारे में बात करेंगे क्योंकि यह उड़ीसा के पुरी मैं उपस्थित जगन्नाथ मंदिर पौराणिक काल से ही आलौकिक माना गया है और जिनके रहस्य कुछ इस प्रकार है
1. वैसे यदि आमतौर पर आप अपने आप की या फिर किसी अन्य जीव जंतु की या पेड़ पौधे की परछाई देखना चाहोगे तो आपको उनकी परछाई देखने को मिल जाएगी सूरज की दूसरी तरफ आपको उनकी परछाई नजर आती है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस मंदिर को इस तरीके से बनाया गया है कि इस 215 फीट ऊंचे मंदिर की परछाई धरती पर ही नहीं पढ़ती और इस बात से वैज्ञानिक भी हैरान है कि ऐसे कैसे हो सकता है
2. जगन्नाथ मंदिर में स्थापित मूर्ति से जुड़ा हुआ एक रहस्य यह है कि मूर्तियों को 12 साल में बदला जाता है जिसमें जगन्नाथ बलराम और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को बदल दिया जाता है और नइ मूर्ति स्थापित की जाती है और इन मूर्तियों को बदलने के दौरान पूरी के पूरा शहर अंधेरा कर दिया जाता है और शहर की बिजली भी काट दी जाती है और इस मंदिर के आसपास केवल सिक्योरिटी गार्ड रहते हैं और मंदिर में मूर्ति बदलने के लिए पुजारी उपस्थित रहते हैं जिनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है
3. यदि बात करें जगन्नाथपुरी के इस मंदिर के तीसरे रहस्य की तो आपने आमतौर पर अनेकों मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारों पर पक्षियों को उड़ते हुए देखा होगा उस पर बैठते हुए भी देखा होगा लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस जगन्नाथ मंदिर के ऊपर आज तक ना तो कोई पक्षी उड़ता हुआ देखा गया है और ना ही कोई हवाई जहाज उड़ता हुआ देखा गया है और ना ही इस पर कोई भी पक्षी बैठता है जो अपने आप में एक रहस्य है
4. जगन्नाथ मंदिर का चौथा रहस्य यह है कि यहां की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है जो कि खुले आसमान के नीचे बनाई गई है और यहां पर रोज लाखों लोगों के लिए प्रसाद बनाया जाता है हैरानी की बात यह है कि आज तक यहां पर ना तो प्रसाद ज्यादा रहा है और ना ही प्रसाद कभी कम पढ़ा है और प्रसाद को बहुत बड़े चूल्हे पर बनाया जाता है और इस चूल्हे पर नीचे से ऊपर करके 7 घड़े रखे जाते हैं लेकिन आपको इस बात को जानकर हैरानी होगी कि प्रसाद बनने की प्रक्रिया में जो सबसे ऊपर घड़ा रखा जाता है उसमें सबसे पहले प्रसाद बनता है और फिर क्रम से बनता जाता है और जो सबसे नीचे का घड़ा होता है उसमें सबसे बाद में प्रसाद तैयार होता है
5. जगन्नाथ मंदिर पांचवा रहस्य यह है कि इस के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है आमतौर पर आपने अनेकों मंदिरों पर झंडे लगे देखे होंगे जो कि हवा की दिशा में ही लहराते हैं लेकिन आज तक इस बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई कि इस मंदिर के शिखर पर लगा झंडा क्यों विपरीत दिशा में लहराता है और कहा जाता है कि इस मंदिर के शिखर पर लगे झंडे को रोज बदला जाता है और यदि ऐसा नहीं करते तो मंदिर 12 साल तक बंद रहता है
6. जगन्नाथ मंदिर का छठ रहस्य उसके शिखर पर लगा सुदर्शन चक्र का है और इस रहस्य से यह है कि आप किसी भी दिशा में खड़े होकर उस सुदर्शन चक्र को देखोगे तो वह सुदर्शन चक्र आपको सीधा ही नजर आएगा
7. दोस्तों यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है जोकि उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है और इस मंदिर के पास समुद्र होने के कारण समुद्र की लहरों की आवाज आना स्वाभाविक है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब भी आप मंदिर के सिंहद्वार के अंदर प्रवेश करोगे तो आपको समुद्र की लहरों की आवाज आनी बंद हो जाएगी और जैसे ही आप उस द्वार से बाहर आएंगे तो पुनः आपको समुंदर की लहरों की आवाज सुनाई देने लग जाएगी और इस प्रक्रिया को रात को ज्यादा अनुभव किया जा सकता है
जगन्नाथ मंदिर किसने बनवाया | Puri Jagannath Temple History
वैसे तो जगन्नाथ पुरी मंदिर बनवाने के लिए यदि देखा जाए तो कई मान्यता तथा कहीं पुराने तथ्य मिलते हैं और जिस में एक मान्यता के अनुसार मालवा के राजा इंद्रदयुम्न ने बनवाया था और इनके पिता का नाम भारत तथा माता का नाम सुमति था और ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ एक बार राजा के सपने में दर्शन देकर बोले कि तुम नीलांचल पर्वत की एक गुफा में चले जाओ जिसमें नीलमाधव की मूर्ति स्थापित है और तुम एक मंदिर बनवा कर उस मूर्ति को उस में स्थापित करवा दो और जैसे ही सवेरा होता है तो राजा और अपने सैनिकों को और एक ब्राह्मण विद्यापति को लेकर नीलांचल पर्वत की ओर निकल पड़ते हैं वह ब्राह्मण विद्यापति उस पर्वत के बारे में और गुफा में स्थापित मूर्ति के बारे में भी काफी कुछ जानता था इसलिए राजा ने उनको अपने साथ ले लिया और विद्यापति जानता था कि यह मूर्ति सबर कबीले के आराध्य देव है जिसकी वे नील माधव के नाम से पूजा करते हैं और उस कबीले का मुखिया विश्वासु था पहले तो कबीले के मुखिया ने राजा को वह मूर्ति देने से मना कर दिया फिर चतुर ब्राह्मण विद्यापति ने कबीले के राजा की बेटी से विवाह कर लिया और फिर अपनी पत्नी की सहायता से उस गुफा से मूर्ति को चुराकर राजा को दे दी और जब कबीले वालों को पता चलता है कि मूर्ति चोरी हो गई है तो कबीले का मुखिया विश्वासु दुखी हो जाता है और उन्हीं के साथ भगवान भी दुखी हो जाते हैं जिससे राजा द्वारा चुराई गई मूर्ति गायब होकर उसी गुफा में स्थापित हो जाती है लेकिन एक रात और राजा के सपने में जगन्नाथ ने दर्शन देकर उन्हें कहा कि मैं तुम्हारे पास वापस जरूर लौटूंगा बस तुम मंदिर बनवा के रखना और कहा कि तुम मेरी मूर्ति लकड़ी से बनाना जोकि दुवारिका से पूरी की ओर समुद्र में तैर कर आ रही हो तभी जैसे ही सुबह होती है तो वे अगले दिन देखते हैं कि एक भारी-भरकम पेड़ का टुकड़ा तैरकर पूरी की ओर आ रहा है तो राजा अपने सैनिकों के साथ समुद्र तट पर जाता है और उस टुकड़े को उठाता है लेकिन कितने सारे सैनिक मिलकर और राजा भी मिलकर उस टुकड़े को उठा नहीं पाते हैं तो राजा ने सबर कबीले के राजा विश्वासु को बुलाते हैं और केवल विश्वासु ही अकेले उस भारी-भरकम लकड़ी के टुकड़े को उठाकर मंदिर तक ले आते हैं जिसे देख कर सब हैरान थे लेकिन अब बारी थी कि उस लकड़ी से मूर्तियों का निर्माण कौन करें तो सभी कारीगरों ने कोशिश कर ली लेकिन वह मूर्ति का निर्माण नहीं कर पा रहे थे तभी बताया जाता है कि एक बूढ़े कारीगर के रूप में विश्वकर्मा जी आते हैं और वे कहते हैं कि इस लकड़ी से मूर्ति में बना दूंगा लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि मुझे अलग कमरा चाहिए जिसमें कोई आता-जाता ना हो और मेरा यह कार्य 21 वर्षों तक चलेगा तो राजा ने उनकी शर्त स्वीकार करके अपना कार्य करने लग गए और बूढ़े कारीगर अपना कार्य चालू कर दिया उस कमरे में से कुछ आवाज आती रही लेकिन शर्त अनुसार उस कमरे के पास कोई नहीं गया अचानक उस कमरे में से आवाज आना बंद हो गया और जब राजा यह सब देखता है तो उन्होंने उनकी चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए कमरे को खुलवा दिया जिसके बाद देखते हैं कि वहां कोई नहीं था और वहां पर तीन मूर्तियां मिली जिसमें भगवान नीलमाधव अर्थात जगन्नाथ और उनके बड़े भाई बलभद्र जिनकी मूर्ति में छोटे-छोटे हाथ बनाए गए और पैर नहीं बनाए गए और उनकी बहन सुभद्रा के हाथ पाव नहीं बनाए और उसके बाद राजा जान गए थे कि वह बूढ़ा कारीगर कोई दिव्य पुरुष ही था जो कि अब नहीं आएगा तो वह भगवान की आज्ञा मानकर उन आधी अधूरी मूर्तियों को मंदिर में स्थापित कर देता है और तभी से भगवान जगन्नाथ बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की पूजा होने लगती है
जगन्नाथ मंदिर कब जाना चाहिए | Jagannath Puri Darshan
दोस्तों आप जब भी कहीं घूमने जाते हो तो आप सोचते हो कि हमारा घूमने का अनुभव अच्छा रहे चाहे आप किसी मंदिर में दर्शन करने के लिए जा रहे हो या फिर किसी भी अन्य चीज के लिए जा रहे हो तो आप सोचोगे कि हमारा सब कुछ अच्छे से बीत जाए जिससे हम आनंद प्राप्त कर सकें लेकिन आज बात करते हैं जगन्नाथ मंदिर की जिसमें जानेगे आप किस टाइम जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन कर सकते हैं
सर्दियों के दिन
दोस्तों अगर आप सर्दियों में जगन्नाथ मंदिर में जाने की सोच रहे हो तो आपको यहां पर सर्दी के टाइम लगभग 10 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान देखने को मिलेगा और यह समय जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन करने के लिए काफी अच्छा माना जाता है और आपको बता दें कि अक्टूबर से फरवरी तक यहां पर ज्यादा ठंड नहीं पड़ती है जिसके लिए श्रद्धालु भक्तजन इस समय का चुनाव कर सकते हैं भगवान के दर्शन करने के लिए
गर्मी के दिन
यदि दोस्तों आप गर्मियों के दिनों में जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन करना चाहते हो तो आपको यहां पर 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान देखने को मिलेगा जिसकी वजह से यहां पर काफी ज्यादा गर्मी का सामना करना पड़ सकता है और ज्यादा तापमान होने की वजह से लोग इन दिनों में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने में कतराते हैं क्योंकि गर्मियों के दौरान अक्सर लोग चाहते हैं कि वे कहीं घूमने जाएं ताकि उनके घूमने का अनुभव अच्छा बीत सके लेकिन यहां पर ज्यादा तापमान होने के कारण गर्मी काफी ज्यादा पड़ती है जिससे लोगों का हाल बेहाल हो जाता है और इसी के कारण गर्मियों के दिनों में भक्त श्रद्धालु कम दर्शन कर पाते हैं
बरसात के दिन
दोस्तों आप अगर इन दिनों में जगन्नाथ पुरी के दर्शन करना चाहते हो तो इन दिनों में आपको जुलाई महीने से लेकर सितंबर के अंत तक यहां पर हल्की फुल्की बारिश के साथ भारी मात्रा में बारिश भी देखने को मिल सकती है और यदि आप दर्शन करने के लिए जाते हो और बारिश हो जाए तो आपको कितनी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए यदि आप जगन्नाथपुरी के दर्शन करना चाहते हो तो सबसे अच्छा समय सर्दियों का है
बिल्कुल सही समय कौन सा है | Puri Jagannath Temple Timings
पुरी का जगन्नाथ मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है और यह भगवान कृष्ण को समर्पित है और यदि इस मंदिर दर्शन करने का सही समय यदि माना जाए तो अक्टूबर से फरवरी का महा आपके लिए काफी अच्छा हो सकता है क्योंकि यहां पर आपको ना तो ज्यादा गर्मी सहनी पड़ेगी और ना ही ज्यादा ठंड और ना ही ज्यादा बरसात जिसके कारण आपको दर्शन काफी अच्छी तरीके से हो सकते हैं और इन्हीं दिनों में सबसे ज्यादा भक्त श्रद्धालु जगन्नाथ भगवान के दर्शन कर पाते हैं
जगन्नाथ पुरी कैसे जाए | how to reach Jagannath Puri
यदि आप जगन्नाथपुरी जाना चाहते हो तो आपके लिए सबसे अच्छा साधन कौन सा रहेगा हमने इसी के बारे में बताया है जो कि आप नीचे दिए हुए पॉइंट को पढ़ कर जान सकते हो
1. bus से जगन्नाथ मंदिर कैसे जाएं : Jagannath Puri Bus
यदि आपको जगन्नाथपुरी जाना है तो सबसे पहले अपने राज्य या फिर अन्य किसी भी शहर से उड़ीसा के लिए कोई बस देखें जिससे आपको सीधा उड़ीसा या फिर उड़ीसा के किसी भी शहर में पहुंचा सके और यदि आपकी घर से जगन्नाथ पुरी का मंदिर या फिर उड़ीसा राज्य 1000 किलोमीटर से दूर है तो आप ट्रेन या फिर हवाई जहाज का नीचे दिए हुए पॉइंट को पढ़कर पहुंचने का तरीका पता कर सकते
2. ट्रेन से कैसे पहुंचे : Jagannath Puri Train
यदि आप जगन्नाथपुरी ट्रेन से पहुंचना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपके राज्य से उड़ीसा के पुरी शहर में कौन सी ट्रेन जाती है यदि आपके राज्य से पूरी के लिए कोई ट्रेन नहीं जाती है तो आप भुवनेश्वर के लिए ट्रेन देख सकते हैं और यदि इन दोनों में से नहीं जाती तो आप किसी भी बड़े रेलवे स्टेशन पर जाकर पता कर सकते हैं कि इन दोनों शहर के लिए जाने वाली ट्रेन कब है किस टाइम है और यदि आप भुवनेश्वर के लिए ट्रेन पकड़ते हो तो भुवनेश्वर से पूरी का जगन्नाथ मंदिर 60 किलोमीटर की दूरी पर है जिससे फिर आप वहां से बस या फिर अन्य ट्रेन पकड़ कर जगन्नाथपुरी जा सकते हैं और यदि पूरी के लिए आपको ट्रेन मिल जाए तो बहुत अच्छा है
3. हवाई जहाज से कैसे जाएं : Jagannath Puri Airport
यदि आप कभी भी हवाई जहाज से जगन्नाथ धाम पहुंचना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपके राज्य से उड़ीसा के भुवनेश्वर कौन सी फ्लाइट जाती है भुवनेश्वर के लिए अन्य राज्यों से काफी फ्लाइट जाती है और कई हवाई अड्डे आपस में जुड़े हुए हैं यदि आपके राज्य में आपके आसपास कोई हवाई अड्डा नहीं है तो सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपको किस हवाई अड्डे से भुवनेश्वर हवाई अड्डे तक पहुंच सकते हैं और फिर टिकट बुक करा कर आप अपनी यात्रा को शुरू कर सकते हैं और भुवनेश्वर हवाई अड्डे से आपको बस या फिर ट्रेन पूरी के लिए मिल जाएगी और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर सिर्फ 2 किलोमीटर की अंतराल पर रह जाता है जिससे आप पैदल या फिर ऑटो रिक्शा के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने जाना है कि Puri Jagannath Temple History, जगन्नाथ मंदिर किसने बनवाया, जगन्नाथ मंदिर कैसे जाए व अन्य जानकारी प्राप्त की है दोस्तों हम को आशा है कि जो भी आप जानकारी प्राप्त करना चाहते थे शायद आपको इस आर्टिकल के द्वारा वह जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी इसलिए आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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FAQ :-
Qus 1 जगन्नाथ मंदिर में क्या खास है
Ans :- ऐसा माना जाता है जगन्नाथ मंदिर के आसपास कुछ चिंताएं जलती है जिसकी गंध सिंह द्वार में प्रवेश करने से पहले आती है लेकिन जैसे ही आप सिंहद्वार के अंदर प्रवेश करते हो तो गंध आना बंद हो जाता है और यह मंदिर समंदर के किनारों स्थित है समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण वहां लहरों की आवाज आती है लेकिन सिंहद्वार के अंदर प्रवेश करते ही लहरों की आवाज नहीं आती है
Qus 2 जगन्नाथ मंदिर का इतिहास क्या है
Ans :- भगवान जगन्नाथ का मंदिर चार धामों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और यह भारत में उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है और यह समुद्र के किनारे स्थित है यह भी एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है क्योंकि भगवान कृष्ण को समर्पित है इस मंदिर में तीन मूर्तियां हैं जिसमें पहली जगन्नाथ की दूसरी मूर्ति बलभद्र की और तीसरी मूर्ति सुभद्रा की है जिनकी लोग पूजा करके अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है क्योंकि यहां साक्षात भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण वास करते हैं और यह चार धामों में प्रसिद्ध धाम है श्री जगन्नाथ पहले नीलमाधव के नाम से पूजे जाते थे जो कि सबर कबीले के सरदार विश्वासु के आराध्य देव थे और जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से जानेंगे
Qus 3 पुरी जगरनाथ मंदिर की छाया क्यों नहीं आती है
Ans :- वैसे तो जगन्नाथ मंदिर के बारे में कोई सटीक प्रमाण नहीं है कि मंदिर की छाया धरती पर क्यों नहीं पड़ती लेकिन कुछ ऐसे ही रहस्य मंदिर के हैं जिनके बारे में जितना पड़े उतना कम है और उनमें से कुछ यह है कि मंदिर की कभी भी छाया धरती पर नहीं पड़ती मंदिर पर लगा ध्वज हमेशा विपरीत दिशा में लहराता है हवा के और मंदिर पर लगा सुदर्शन चक्र हमेशा ऐसे इस तरीके से लगा हुआ है कि आप नीचे से किसी भी दिशा से देख लो वह हमेशा ऐसा लगेगा कि वह आपकी तरफ से ही लगा है यह इस बात का प्रमाण है कि हमारे पूर्वज कला में निपुण थे जिनका आज तक कोई तोड़ नहीं है
Qus 4 जगरनाथ मंदिर की मूर्ति 12 साल में क्यों बदली जाती है
Ans :- ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथपुरी में स्थित भगवान कृष्ण की मूर्ति जिन्हें नीलमाधव के नाम से भी जाना जाता है उस मूर्ति में आज भी भगवान कृष्ण का दिल सुरक्षित मौजूद है और कुछ ऐसी भी मान्यता है कि उस दिल को सुरक्षित रखने के लिए 12 साल बाद भगवान कृष्ण बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्ति को बदला जाता है और बदलते समय पूरे शहर में अंधेरा कर दिया जाता है और बदलने वाले पुजारियों की आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है जिसके बाद भगवान कृष्ण के सुरक्षित दिल को दूसरे मूर्ति में बदला जाता है और भगवान कृष्ण के इस दिल को भ्रम पदार्थ कहा जाता है
Qus 5 जगन्नाथ मंदिर के ऊपर पक्षी और विमान क्यों नहीं उड़ते है
Ans :- वैसे तो इस मंदिर के रहस्य अनेकों है लेकिन उनमें से एक है कि इस मंदिर के ऊपर कभी भी पक्षी व विमान नहीं उड़ते और उन रहस्य में यह इसलिए विशेष हैं आज तक इस मंदिर के ऊपर पक्षी को नहीं देखा गया है और ना ही मंदिर के ऊपर बैठा हुआ देखा गया है जिसका पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं
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