बद्रीनाथ धाम का इतिहास और रहस्य | Badrinath

इस लेख में Badrinath के बारे में जानेगे जिसमे आपको Unheard story of Badrinath Dham, Mystery of Badrinath Dham, Incidents, Facts of Badrinath Dham, Badrinath Temple History के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसमें आप बद्रीनाथ से जुड़ी हुई सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
Badrinath


    #1 Badrinath temple history | बद्रीनाथ

    दोस्तों अगर बात करें इस मंदिर की तो इस मंदिर को बद्रीनाथ के अलावा एक और नाम से जाना जाता है जिसे बद्रीनारायण मंदिर कहा जाता है और यह उत्तराखंड में स्थित है जोकि चमोली जनपद के अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और यह हिंदू श्रद्धालुओं के लिए चार धामों में से यह एक प्रसिद्ध स्थान है और यह मंदिर एक प्राचीन मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण कुछ मान्यताओं के अनुसार सातवीं शताब्दी से नौवीं शताब्दी में माना जाता हैं और इस मंदिर में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और इस मंदिर के किनारे बसे सभी नगर को बद्रीनाथ के नाम से ही जाना जाता है
    अगर मान्यताओं के अनुसार इस धाम की बात करें तो इसे हर एक काल में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जिन में बताया गया है कि स्कंदपुराण के अनुसार सतयुग में बद्रीनाथ धाम के क्षेत्र को मुक्तप्रदा कहा गया है और त्रेतायुग में योग सिद्ध द्धापर युग में मणिभद्र और इसी प्रकार कलयुग में बद्रिकाश्रम अर्थात बद्रीनाथ आदि नामों से पुकारा गया है

    #2 बद्रीनाथ धाम के शिव से जुड़ी हुई सच्चाई | badrinath dham

    Badrinath

     आपको शायद यह नहीं पता होगा कि बद्रीनाथ धाम पहले भगवान शिव का स्थान हुआ करता था जिसमें भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ इस धाम में निवास करते थे लेकिन एक बार जब भगवान विष्णु ध्यान करने के लिए कोई विशेष स्थान ढूंढ रहे थे तो उन्हें यह स्थान दिखाई दिया और वे इस स्थान की ओर आकर्षित हो गए और यह सब जानते हुए कि यह स्थान उनके आराध्य भगवान शिव का है तो वे इस स्थान को भगवान शिव से कैसे मांगते तो उनके मन में एक लीला करने की आई उन्होंने एक बालक का रूप ले लिया और वे जोर जोर से रोने लगे तो कुछ देर में माता पार्वती की उन पर नजर गई लेकिन वह बालक चुप नहीं हो रहा था और जब माता पार्वती उनको अंदर लेकर आई तो भगवान शिव समझ गए कि यह नारायण की लीला है तो भगवान शिव ने कहा कि तुम इसे छोड़ दो यह बालक स्वयं ही चुप हो जाएगा लेकिन माता पार्वती नहीं मानी और नारायण के रूपी बालक को अंदर सुलाने के लिए चली गई तभी भगवान नारायण के मन में एक ओर लीला करने की आई तो उन्होंने धाम का अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और जैसे ही भगवान शिव अंदर जाने का प्रयास करते हैं तो भगवान नारायण ने कहा कि यह धाम मुझे पसंद आ गया है आप सभी केदारनाथ में वास करें और मैं इसी धाम में रहकर अपने भक्तों को दर्शन दूंगा और तभी से भगवान शिव ने भगवान नारायण को वरदान दिया था कि लोग आज से नारायण को बद्रीनाथ के नाम से भी जानेंगे और तभी से ही भगवान शिव केदारनाथ में चले गए इसलिए ही इस धाम को चारों धामों में प्रमुख माना जाता है

    #3 बद्रीनाथ मंदिर में किस भगवान की मूर्ति है | badrinath ka mandir

    Badrinath

    बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा की जाती है वह मूर्ति 1 मीटर लंबी है जिसे शालिग्राम से निर्मित किया गया है और इसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि गुरु शंकराचार्य जी ने 7वीं शताब्दी में अलकनंदा नदी से निकालकर स्थापित किया था और यह मूर्ति विष्णु भगवान की स्वयं प्रकट हुई प्रतिमा में से एक मानी जाती है

    शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर के बारे में बताया गया है कि इस मंदिर में विराजमान भगवान नारायण की पूजा 6 महीने इंसान और 6 महीने देवता करते हैं जिसमें देवता सर्दियों के दिनों में भगवान नारायण की पूजा करते हैं और इन्हीं शास्त्रों के अनुसार बद्रीनाथ धाम को दूसरे नाम अर्थात धरती का वैकुंठधाम के नाम से भी जाना जाता है

    #4 भगवान विष्णु या बद्रीनाथ धाम की महिमा | Badrinath

    Badrinath

    पौराणिक गाथा में ऐसा बताया गया है कि अलकनंदा नदी के किनारे स्थित बद्रीनाथ धाम में सतयुग तक स्वयं भगवान नारायण दर्शन देते थे और फिर त्रेता में यहां पर देवताओं को और साधु संन्यासियों को भगवान नारायण के दर्शन होने लगे और जब द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था तो उन्होंने एक नियम बनाया था कि आज से बद्रीनाथ धाम में लोग उनके एक विग्रह के रूप में उन के साक्षात दर्शन करेंगे और भक्त श्रद्धालु भगवान नारायण के बद्रीनाथ धाम में उपस्थित विग्रह के दर्शन करके अपनी मनोकामना पूर्ण करेंगे

    ऐसी भी मान्यता है कि जो भी भक्तजन भगवान नारायण का आशीर्वाद पाना चाहते हैं वे सभी भक्तजन श्रद्धालु पुजारी पूरी श्रद्धा से बद्रीनाथ धाम के दर्शन करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं क्योंकि इस धाम को चारों धामों में से प्रमुख माना गया है

    #5 बद्रीनाथ धाम का महत्व और उपलब्धि | badrinath mandir

    Badrinath

    1. इस धाम में नर और नारायण की पूजा की जाती है.
    2. बद्रीनाथ धाम चारों धामों में से प्रमुख है और यहां पर भगवान नारायण की पूजा की जाती है.
    3. बद्रीनाथ धाम के चारों तरफ के क्षेत्र में जंगली बेरिया पाई जाती है जिन्हें बद्रिका कहा जाता है और इन्हीं बेरियो के नाम पर इस धाम का नाम बद्रीनाथ धाम पड़ा.
    4. इस धाम के दर्शन करने के लिए इस को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें गर्भग्रह, दर्शनमंडप और सभामंडप मौजूद है.
    5. इस धाम में उपस्थित मूर्ति में भगवान नारायण योगमुद्रा अर्थ अर्थ ध्यानयोग में दर्शन देते हैं.
    6. हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस धाम की महत्व इसलिए है क्योंकि यह स्थान भारत का सबसे प्राचीन स्थान माना गया है और इसकी उत्पत्ति सतयुग में हुई थी.
    7. ऐसा भी कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम में पूजा करने या भगवान नारायण के दर्शन मात्र से ही मनुष्य पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है.

    #6 बद्रीनाथ धाम की उत्पत्ति कैसे हुई | badrinath temple

    Badrinath

    पौराणिक धर्म ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार बद्रीनाथ धाम की मूर्ति देवताओं द्वारा स्थापित और पूजी जाती थी और यह सतयुग द्वापर से ही चला आ रहा था लेकिन जब बौद्धों का प्रभाव पड़ा तो यह मूर्ति अलकनंदा नदी में सलाह दी गई लेकिन बाद में जब गुरु शंकराचार्य जी को पता चला तो उन्होंने अलकनंदा नदी से बद्रीनाथ कि इस मूर्ति को खोज कर निकाल कर पुणे तप्त कुंड नामक स्थान के पास स्थित एक गुफा में स्थापित किया और तभी से ही बद्रीनाथ धाम की पूजा दोबारा शुरू हो गई और वैसे तो मान्यता यह है कि इस धाम की स्थापना देवताओं द्वारा सतयुग में की गई थी जिसमें देवता साधु संत पुजारी सभी भगवान नारायण की पूजा करते थे और आज इस धाम में 15 मूर्तियां स्थापित है जिसमें भगवान नारायण की मूर्ति सबसे प्रसिद्ध है और इस धाम को पुरानी मान्यताओं के अनुसार धरती का वैकुंठ लोक भी कहा जाता है

    #7 बद्रीनाथ किस हिमालय पर स्थित है | badrinath

    Badrinath

    यदि वैज्ञानिक विचार तथा भौगोलिक दृष्टि से माने तो बद्रीनाथ धाम गढ़वाल हिमालय के क्षेत्र में आता है और जिसमें बद्रीनाथ धाम कुमाऊ हिमालय पर स्थित है जिससे उस हिमालय पर्वत को महान हिमालय पर्वत तथा मध्य हिमालय पर्वत के नाम से पुकारा जाता है

    #8 बद्रीनाथ किसका अवतार है?

    बद्रीनाथ किस्में है? वह विष्णु भगवान का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और विष्णु भगवान का एक प्रमुख अवतार, यानी केवल भगवान का स्वयं समावेश है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखण्ड राज्य, भारत में हिमालय के पार्वती पर्वत श्रेणी में स्थित है, और यह विष्णु भगवान को बद्री नारायण के रूप में पूजा जाता है। बद्रीनाथ मंदिर हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    #9 बद्रीनाथ का पुराना नाम क्या है? 

    बद्रीनाथ का पुराना नाम वडप्रियाग (Vadapriyag) था। इसका नाम वडप्रियाग इसलिए था क्योंकि यह स्थल विष्णु भगवान के तीर्थ राज बद्रीनाथ के साथ होता था। बद्रीनाथ का नाम इस स्थल पर ही प्रसिद्ध हो गया जब बद्रीनाथ के मंदिर का निर्माण हुआ और यह विष्णु भगवान के अवतार के रूप में प्रसिद्ध हो गया। इसी कारण से बद्रीनाथ को अब वडप्रियाग के नाम से नहीं बल्कि वडप्रियाग के उपनाम के रूप में पुकारा जाता है। यह वडप्रियाग का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण यात्रा का मान्यता प्राप्त है।


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    FAQ :-

    Qus1 बद्रीनाथ मंदिर का रहस्य क्या है

    Ans : बद्रीनाथ धाम का रहस्य यह है कि यह धाम पहले भगवान शिव का धाम हुआ करता था जिसे भगवान शिव ने एक वरदान स्वरूप इस धाम को नारायण को दे दिया था क्योंकि नारायण भगवान को ध्यान करने के लिए एक विशेष स्थान की आवश्यकता थी और जो कि उन्हें बद्रीनाथ धाम पसंद भी आ गया था और जिसके बाद नारायण ने भगवान शिव से यह धाम मांग लिया था और उसके बाद भगवान शिव केदारनाथ में बस गए थे

    Qus2 बद्रीनाथ मंदिर में क्या-क्या चढ़ाया जाता है

    Ans :वैसे तो भगवान नारायण की पूजा करने के लिए भक्तजनों श्रद्धालुओं को भाव व आस्था की जरूरत होती है लेकिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए पुष्प फल इत्यादि चढ़ाए जाते हैं और वही बात करें बद्रीनाथ धाम की तो वहां पर फल फूल इत्यादि ने चढ़ाकर केवल तुलसी का पत्ता ही चढ़ाया जाता है जिससे भगवान बद्रीनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और इसलिए ही नारायण की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग किया जाता है

    Qus3 बद्रीनाथ मंदिर की विशेषता क्या है

    Ans :बद्रीनाथ धाम चार धामों में प्रसिद्ध धाम है जिसमें भगवान नारायण की पूजा की जाती है और यह नर और नारायण दो पर्वतों के बीच उपस्थित है और इसकी विशेषता यह है कि इसमें जो भगवान नारायण की मूर्ति है वह शालिग्राम से निर्मित है और जो कि स्वयं प्रकट होने वाली मूर्तियों में से एक है और मान्यताओं के अनुसार यह धाम पहले भगवान शिव का निवास स्थान हुआ करता था

    Qus4 बद्रीनाथ का दूसरा नाम क्या है

    Ans : अगर हम बात करें बद्रीनाथ धाम के दूसरे नाम की तो इसे बद्रीनारायण के नाम से जाना जाता है और इस धर्म का अन्य नाम बद्रीका धाम है और यह चारों धामों में प्रसिद्ध होने के कारण इसे धरती का वैकुंठधाम भी कहा जाता है जिसके कारण यह प्रसिद्ध है

    Qus5 बद्रीनाथ मंदिर में किस भगवान की पूजा की जाती है

    Ans : बद्रीनाथ धाम में भगवान नारायण की पूजा की जाती है और जिसमें उनके विग्रह की भी पूजा की जाती है और मूर्ति की भी पूजा की जाती है जिसमें उनकी मूर्ति ध्यान योग में भक्तों श्रद्धालुओं को दर्शन देती है

    Qus6 बद्रीनाथ धाम में शंख क्यों नहीं बजाया जाता

    Ans : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान नारायण योग निद्रा में ध्यान कर रहे थे और माता लक्ष्मी उनके पास बैठी हुई थी जब सभी देवता गण संत पुजारी अन्य उनकी पूजा करने के लिए आए तो उन्होंने पूजा करने के बाद शंख बजाने के लिए माता लक्ष्मी से आज्ञा मांगी तो माता लक्ष्मी ने उन्हें शंख बजाने से मना कर दिया ताकि भगवान नारायण की योगनिद्रा ना टूटे और ऐसा माना जाता है तभी से इस धाम में शंख नहीं बजाया जाता
            वैज्ञानिक तौर पर माने तो ऐसा कहा गया है यदि यहां पर शंख बजाया जाए तो शंख की ध्वनि बर्फ के पहाड़ों से टकरायेगी जिससे बर्फ के मैं दरार आकर हिमस्खलन होने की संभावना बढ़ जाती है जिसके कारण यहां शंख नहीं बजाया जाता

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