केदारनाथ मंदिर का इतिहास और रहस्य :- Kedarnath History

दोस्तों में इस blog में आपको Kedarnath History के बारे में बताऊंगा जिसमें आप Kedarnath Temple History, old facts of kedarnath, Mythological information of Kedarnath, Kedarnath Facts, the mystery of Kedarnath and the events of Kedarnath के बारे में विस्तार और संक्षेप में जान सकते हैं इतना ही नहीं आपको केदारनाथ से जुड़ी हुई और भी अन्य जानकारी प्राप्त होगी जिससे आप इस मंदिर से जुड़ी हुई सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
Kedarnath History

    #1 केदारनाथ के बारे में जाने | Kedarnath History

    अगर हम बात करें केदारनाथ मंदिर की यह मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में हिंदुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है उत्तराखंड का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है इस मंदिर के कपाट यहां की जलवायु प्रतिकूल होने के कारण अप्रैल से नवंबर के बीच खोलते हैं जिससे भक्त श्रद्धालु इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं और पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने कराया था
    दोस्तों भारत देश में स्थित सभी 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ सबसे ऊंचाई पर और मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है और इस मंदिर को केवल पत्थरों के बड़े-बड़े शिलाखंडो को जोड़कर बनाया गया है मान्यता है कि यहां पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि ने तपस्या करी थी जिसके बाद महादेव ने उन्हें दर्शन देकर यहां पर ज्योतिर्लिंग में हमेशा रहने का वचन दिया और इस मंदिर को उत्तराखंड का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी बताया गया है जिसका ज्योतिर्लिंग त्रिकोण आकार का है

    #2 केदारनाथ मंदिर कितने भागों में बांटा है | Part of Kedarnath

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    आपके कभी ना कभी मन में यह जरूर आया होगा कि मैं भी केदारनाथ मंदिर के दर्शन करूं और यदि आपने दर्शन करें हैं तो बहुत अच्छी बात है लेकिन क्या आपको पता है इस मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है और पहला भाग है मेरे दोस्त गर्भ ग्रह जहां पर शिवलिंग उपस्थित है और दूसरा भाग है दर्शन मंडप जहां पर सभी श्रद्धालु एक बड़े से स्थान पर खड़े होकर पूजा करते हैं और यदि बात करें तीसरे भाग की तो इसे कहते हैं सभा मंडप और इस जगह पर सभी श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं और इस मंदिर को एक 6 फीट के चकोर चबूतरे पर बनाया गया है और इस मंदिर के बाहर की साइड नंदी बैल वाहन के रूप में स्थापित है और दोस्तों यह इस मंदिर का निर्माण किसने कराया इसके बारे में आज तक कोई सटीक जानकारी नहीं है लेकिन कुछ मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी ऐसा बताया जाता है

    #3 केदारनाथ और पांडवों का जुड़ा हुआ रहस्य | kedarnath dham

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    केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसके दर्शन हर साल लाखों श्रद्धालु भक्तजन पुजारी इत्यादि लोग करते हैं लेकिन इसकी महाभारत काल से जुड़ी हुई गाथा है जिसमें बताया गया है कि जब महाभारत में पांडवों की जीत हो गई थी पांडवों को एक चिंता थी कि उन्होंने महाभारत के युद्ध में महापाप किए हैं जिसमें उन्होंने अपने बड़ों की अपने भाइयों की और अपने गुरुजन की हत्या की है इसलिए वे अपने आप को पापी मान रहे थे  और वे इस पाप से मुक्त होना चाहते थे जिसमें में महादेव के दर्शन करना चाहते थे इसलिए पांडव भगवान शिव के दर्शन करने के लिए काशी नगरी जाते हैं लेकिन बताया जाता है कि भगवान शिव पांडवों से रूठे हुए थे इसलिए पांडवों के काशी नगरी पहुंचने से पहले भगवान शिव हिमालय कि केदार गुफाओं में अंतर्ध्यान हो गए लेकिन पांडवों ने उनके बारे में पता करने के बाद में वहां भी पहुंच गए और तब भगवान शिव को पता चला कि पांडव आ गए हैं तो उन्होंने बैल का रूप लेकर एक बैल के झुंड में छिप गए तब पांडवों को उन पर शक होने लगा तो भीम ने अपना बड़ा आकार लेकर बैलों के रास्ते पर अपना पैर रख दिया सभी झुंड के बैल भीम के पैरों के नीचे से निकल गए लेकिन एक बैल रह गया तब पांडव समझ गए कि यह भगवान शिव है और तभी भीम ने उस बैल की त्रिकोणी पीठ को पकड़ लिया और महादेव पांडवों की इस भक्ति भावना को देखते हुए प्रसन्न हो गए और उन्हें भगवान शिव ने अपने असली रूप के दर्शन दिखाएं और पांडवों को उनके पाप से मुक्ति दी और दोस्तों आज भी भगवान शिव इस मंदिर में बैल की तिकोनी पीठ के रूप में विराजमान है

    #4 केदारनाथ मंदिर कितना साल पुराना है | History of Kedarnath

    Kedarnath History

    दोस्तों अगर बात करें केदारनाथ मंदिर की यह कितने साल पुराना है तो आज तक इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है और यह मंदिर भक्तों की आस्था का एक केंद्र माना जाता है कुछ मान्यताओं के अनुसार जब महाभारत का युद्ध पांडव जीत गए थे तो उन्होंने सोचा कि इस युद्ध में उन्होंने काफी हत्या की है और इसी का पश्चाताप करने के लिए मैं केदार की पावन भूमि पर पहुंचे और उन्हीं के द्वारा ही केदारनाथ धाम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था

    वैज्ञानिकों के अनुसार :- Kedarnath Tample

    यदि हम वैज्ञानिकों के अनुसार केदारनाथ मंदिर की बात करें तो यह मंदिर 400 साल तक बर्फ में दबा हुआ था जिसके बाद भी इस मंदिर कुछ भी खराब नहीं हुआ और जिसके बाद यह मंदिर बर्फ को चीरकर भक्तों के सामने प्रकट हो गया जिसके बाद इस मंदिर की पूजा आरंभ हुई लेकिन वैज्ञानिक हैरान है कि यह मंदिर इतने सालों तक बर्फ में दबे होने के कारण भी यह मंदिर कैसे बचा
               वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस मंदिर को बनाने वालों के पास एक विशेष कला थी लेकिन हैरानी की बात है कि उन्होंने ऐसी जगह पर इतना मजबूत मंदिर कैसे बनाया कि जिसका आज तक कुछ भी नहीं बिगड़ा और वैज्ञानिक आज भी इसी बात को दोहराते हैं कि मंदिर बहुत मजबूत बनाया गया है यह एक विशेष प्रकार की मोटी मोटी चट्टानों से बनाया गया है इसकी दीवारों और छत को एक ही प्रकार के पत्थर से बनाया गया है जिसके कारण यह मजबूती से खड़ा हुआ है
            वाडिया इंस्टिट्यूट हिमालय के द्वारा एक जांच में पता चला है कि जहां पर केदारनाथ मंदिर स्थापित है वह स्थान 13वी शताब्दी से लेकर 17वी शताब्दी तक बर्फ के नीचे ढका हुआ था अर्थात 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर पूरी तरीके से बर्फ के नीचे ढका हुआ था

    #5 केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया | kedarnath temple history

    Kedarnath History

    यदि इस मंदिर की बात करें तो यह मंदिर कब और किसने बनाया इसका कोई भी प्रमाणिक प्रमाण नहीं है लेकिन कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण लगभग 3500  ईसा पूर्व बताया जाता है कुछ मान्यताओं के अनुसार इसका मंदिर का निर्माण पांडवों के पोत्र जन्मेजय ने कराया था और यहां की स्वयंभू शिवलिंग अति प्राचीन मानी जाती है लेकिन एक मान्यता यह है कि आदि शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करा था

       लेकिन कुछ मान्यता है कि सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था और फिर गुरु आदि शंकराचार्य जी ने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और इनके बाद मालवा के राजा राजा भोज ने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया

    #6 केदारनाथ मंदिर की ऊंचाई | kedarnath height

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    अगर हम बात करें इस मंदिर की ऊंचाई की तो यह समुद्र के तल से लगभग 3584 मीटर (11758 फीट) की ऊंचाई पर है और इस मंदिर को 6 फीट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है जिसमें यह मंदिर 85 फीट ऊंचा 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है और इस मंदिर की दीवार की मोटाई 12 फीट है

    #7 केदारनाथ में घटना कैसे हुई | kedarnath news 

    Kedarnath History

    यह बात है 2013 की जब केदारनाथ में तबाही मच गई थी वहां का मंजर बड़ा खौफनाक था और यह तबाही वहां पर बादल फटने से आई थी जिसके बाद पहाड़ों से पानी आना शुरू हो गया और मंदाकिनी नदी ने एक विकराल रूप ले लिया और देखते ही देखते वहां का मंजर जल प्रलय जैसा हो गया ऐसा लग रहा था कि जैसे मंदाकिनी नदी क्रोध में उफान मार रही है और मंदाकिनी नदी की उफनती लहरों से केदारनाथ मंदिर के आसपास की बड़ी-बड़ी इमारत ढह गई और छोटे बड़े मंदिरों को मंदाकिनी नदी की लहरे अपने साथ बहाकर ले जा रही थी और जब मंदाकिनी नदी की लहरें केदारनाथ मंदिर से टकराने लगी ऐसा लग रहा था जैसे कि सब कुछ नष्ट होने वाला है वहां का मंजर बड़ा खौफनाक था और जब पहाड़ों से बाढ़ का पानी बड़ी तेजी से मंदिर की ओर बढ़ रहा था तभी भगवान शिव ने एक बड़ी चट्टान के रूप में मंदिर के पीछे आकर टिक गई जिससे बाढ़ का पानी दो भागों में बट गया और मंदिर को खरोच तक नहीं आई और मंदिर में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं की जान बच गई वैसे तो इस तबाही में काफी लोगों ने अपनी जान गवाई थी और 16 जून 2013 का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया

    #8 केदारनाथ शिवलिंग | Kedarnath shivling

    Kedarnath History

    पौराणिक गाथाओं के अनुसार यदि बात करें केदारनाथ में स्थापित शिवलिंग की यह उस समय की बात है जब पांडव पश्चाताप करने केदारनाथ गए थे तब शिवजी पांडवा से गुस्सा होने के कारण वे इन से छिप कर उन्होंने बैल का रूप लेकर बैलों के झुंड में मिल गए लेकिन भीम ने अपने बाहुबल से बैलों को वहां से भगा दिया लेकिन एक बैल रह गया और तभी पांडव समझ गए कि यह भगवान शिव है तब भीम ने बैल की पीठ का त्रिकोणा भाग पकड़ लिया और भगवान शिव पांडवों की शक्ति और संकल्प से खुश होकर उन सभी पांडवों को पाप से मुक्त किया और उसी समय से बैल की पीठ के रूप में भगवान शिव शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए और भक्त श्रद्धालु इस शिवलिंग के दर्शन करके अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं अपने पापों से मुक्ति पाते हैं

    #10 केदारनाथ का दूसरा नाम क्या है?

    केदारनाथ का दूसरा नाम "केदारेश्वर" है। केदारनाथ एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है जो भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है, और यह शिवजी के एक महत्वपूर्ण मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर हिमालय के पार्वती पर्वत श्रेणी में स्थित है और शिवजी के एक महत्वपूर्ण धाम के रूप में मान्यता प्राप्त है।

    #11 केदारनाथ इतना प्रसिद्ध क्यों है?

    केदारनाथ मंदिर इतना प्रसिद्ध है क्योंकि यह हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है और इसे शिवजी के एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। केदारनाथ मंदिर हिमालय पर्वत श्रेणी में स्थित है और इसका स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

    कुछ मुख्य कारण जो केदारनाथ को प्रसिद्ध बनाते हैं:

    1. महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल: केदारनाथ को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है, और यह शिवजी के धामों में से एक है।

    2. हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य: केदारनाथ मंदिर का स्थान हिमालय की श्रीकेदार बेसिन में है, जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध है।

    3. स्पिरिचुअलिटी और पूजा: यहाँ पर शिवजी की पूजा और ध्यान की अद्वितीय वातावरण है, जिसे आध्यात्मिक तथा धार्मिक महत्व के लिए मान्यता प्राप्त है।

    4. पौराणिक महत्व: केदारनाथ का संबंध हिन्दू पौराणिक कथाओं से है, और इसका महत्वपूर्ण रूप से उल्लेख महाभारत के युद्ध के बाद किया जाता है।

    5. पिलग्रिम और दर्शनी: हर वर्ष लाखों पिलग्रिम्स और दर्शनी केदारनाथ के मंदिर का दर्शन करने आते हैं, और यह धार्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण स्थल है।

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    FAQ :-


    Qus 1 केदारनाथ की असली कहानी क्या है?

    Ans - उत्तराखंड का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है इस मंदिर के कपाट यहां की जलवायु प्रतिकूल होने के कारण अप्रैल से नवंबर के बीच खोलते हैं जिससे भक्त श्रद्धालु इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं मान्यता है कि यहां पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि ने तपस्या करी थी जिसके बाद महादेव ने उन्हें दर्शन देकर यहां पर ज्योतिर्लिंग में हमेशा रहने का वचन दिया और इस मंदिर को उत्तराखंड का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी बताया गया है जिसका ज्योतिर्लिंग त्रिकोण आकार का है

    Qus 2 केदारनाथ इतना प्रसिद्ध क्यों है?

    Ans - केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है और यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा शिव मंदिर है और श्रद्धालुओं का एक भक्ति भावनाओं का एक केंद्र माना जाता हैऔर केदारनाथ की सबसे रोचक कहानी है कि यह 6 महीने खुला रहता है और 6 महीने बंद रहता है और जब भी 6 महीने के लिए इस मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं तो इसमें एक दिया जला कर रख दिया जाता है और जब भी 6 महीने बाद यह मंदिर खुलता है तो वह दीवा दीया जला जला मिलता है और ऐसा कहा जाता है कि केदारनाथ के दर्शन मात्र से ही लोग अपने पापों से मुक्ति पाते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं

    Qus 3 केदारनाथ मंदिर किसने बनाया था?

    Ans - इस मंदिर की बात करें तो यह मंदिर कब और किसने बनाया लेकिन मान्यता है कि सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था और फिर गुरु आदि शंकराचार्य जी ने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और इनके बाद मालवा के राजा राजा भोज ने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया

    Qus 4 क्या केदारनाथ बर्फ के नीचे था?

    Ans - वाडिया इंस्टिट्यूट हिमालय के द्वारा एक जांच में पता चला है कि जहां पर केदारनाथ मंदिर स्थापित है वह स्थान 13वी शताब्दी से लेकर 17वी शताब्दी तक बर्फ के नीचे ढका हुआ था अर्थात 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर पूरी तरीके से बर्फ के नीचे ढका हुआ थाजिसके बाद भी इस मंदिर कुछ भी खराब नहीं हुआ और जिसके बाद यह मंदिर बर्फ को चीरकर भक्तों के सामने प्रकट हो गया जिसके बाद इस मंदिर की पूजा आरंभ हुई लेकिन वैज्ञानिक हैरान है कि यह मंदिर इतने सालों तक बर्फ में दबे होने के कारण भी यह मंदिर कैसे बचा

    Qus 5 केदारनाथ मंदिर कैसे बचा था?

    Ans - यह बात है 2013 की जब केदारनाथ में तबाही मच गई थी वहां का मंजर जल प्रलय जैसा हो गया ऐसा लग रहा था कि जैसे मंदाकिनी नदी क्रोध में उफान मार रही है और जब पहाड़ों से बाढ़ का पानी बड़ी तेजी से मंदिर की ओर बढ़ रहा था तभी भगवान शिव ने एक बड़ी चट्टान के रूप में मंदिर के पीछे आकर टिक गई जिससे बाढ़ का पानी दो भागों में बट गया और मंदिर को खरोच तक नहीं आई और उस चट्टान को लोग भीमशिला के नाम से जानते है

    Qus 6 केदारनाथ में स्वर्ग से हवा आती है क्या?

    Ans - केदारनाथ मंदिर सभी श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और आस्था का केंद्र माना जाता है और यहां की जलवायु प्रतिकूल होने के कारण ऐसा कहा जाता है कि यहां पर हवा का स्वर्ग से स्थानांतरण होता है और यह स्थान तरण ब्रह्म औरतों में माना जाता है अर्थात सूर्य उदय के 1 घंटे पहले यहां पर स्वर्ग से हवा का स्थान तरण होता है वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि यहां की जलवायु कोई आम जलवायु नहीं है यहां की जलवायु में काफी प्योरिटी पाई गई है जिससे और जगह की जलवायु और केदारधाम की जलवायु को काफी भिन्न बनाती है

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